मेरे रगो का लहू जो तेरे काम आये काश ऐसा मै कोई काम कर जाता तेरे शान को यूं ही बनाये रखने के लिए जंग-ए-मैदान में फिर से उतर जाता।
मुझके मेरे वतन की कसम धरती और इस गगन की कसम है सर पे तिरंगा कफ़न के लिए मिट गए तो कफ़न की कसम ।।