sharabi shayari hindi
sharabi shayari hindi
उसने हाथो से छू कर दरिया के
पानी को गुलाबी कर दिया,
हमारी बात तो और थी उसने
मछलियों को भी शराबी कर दिया……..!!!
मयखाने बंद कर दे चाहे लाख दुनिया वाले,
लेकिन….शहर में कम नही है, निगाहों से पिलाने वाले……!!!
‘तू’ डालता जा साकी शराब मेरे प्यालो में,
जब तक ‘वो’ न निकले मेरे ख्यालों से………!!!
जाम पे जाम पीने से क्या फायदा दोस्तों,
रात को पी हुयी शराब सुबह उतर जाएगी,
अरे पीना है तो दो बूंद बेवफा के पी के देख, सारी उमर नशे में गुज़र जाएगी…..!!!
इतनी पीता हू की मदहोश रहता हू,
सब कुछ समझता हू, पर खामोश रहता हू,
जो लोग करते है मुझे गिराने की कोशिश,
मै अक्सर उन्ही के साथ रहता हू……..!!!
मै तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती,
मै जवाब बनता अगर तू सबाल होती,
सब जानते है मै नशा नही करता,
मगर मै भी पी लेता अगर तू शराब होती…….!!!
लगता है बारिश भी मैखाने जाकर आती है,
कभी गिरती, कभी संभालती,
तो कभी लड़खड़ा कर आती है……..!!!
प्यार के नाम पे यहाँ तो लोग खून पीते है,
मुझे खुद पे नाज़ है की मैं सिर्फ शराब पीता हु…….!!!
मैखाने मे आऊंगा मगर…पिऊंगा नही साकी,
ये शराब मेरा गम मिटाने की औकात नही रखती……!!!
कुछ तो शराफ़त सीख ले, ए इश्क़, शराब से,
बोतल पे लिखा तो है, मैं जान लेवा हूँ…….!!!
यार तो अक्सर मदिरालय मे हीं मिलते हैं,
वर्ना अपने तो मंदिर में भी मुँह मोड़ते हैं………!!!
मैखाने से दीवानों का रिश्ता है पुराना,
दिल मिले तो मैखाना, दिल टूटे तो मैखाना……!!!
शराब और इश्क़ कि फितरत एक सी है,
दोनों में वही नशा, वही दिलकशी, एक दिन तौबा करो उनसे,
दुसरे दिन फिर वही दीवानगी, फिर वही खुदखुशी…..!!!
बहकने के लिए तेरा एक खयाल काफी है,
हाथो मे हो फ़िर से कोई जाम ज़रूरी तो नही……!!!
नशा हम किया करते है इलज़ाम शराब को दिया करते है,
कसूर शराब का नहीं उनका है जिनका चहेरा हम जाम मै तलाश किया करते है…..!!!
ना ज़ख्म भरे, ना शराब सहारा हुई,
ना वो वापस लौटे, ना मोहब्बत दोबारा हुई…….!!!
सुना है मोहब्बत कर ली तुमने भी,
अब किधर मिलोगे, पागलखाने या मैखाने……!!!
किसी ने ग़ालिब से कहा,
सुना है जो शराब पीते हैं उनकी दुआ कुबूल नहीं होती,
ग़ालिब बोले: “जिन्हें शराब मिल जाए उन्हें किसी दुआ की ज़रूरत नहीं होती”…..!!!
शायरी इक शरारत भरी शाम है,
हर सुख़न इक छलकता हुआ जाम है,
जब ये प्याले ग़ज़ल के पिए तो लगा मयक़दा तो बिना बात बदनाम है……..!!!
तुम्हारी आँखों की तौहीन है जरा सोंचो,
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है………!!!
ऐ शराब !!
मुझे तुमसे मोहब्बत नही, मुझे तो उन पलों से मोहब्बत है,
जो तुम्हारे कारण, मै दोस्तौ के साथ बिताता हूँ……!!!
सिगरेट के साथ बुझ गया सितारा शाम का,
मयखाने पुकारे.. ग्लास की उम्र होने आई है……..!!!
या खुदा ‘दिल’ तो तुडवा दिया तूने इश्क के चक्कर में,
कम से कम ‘लीवर’ तो संभालना दारु पीने के लिए…….!!!
पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभी,
डगमगाना भी ज़रूरी है संभलने के लिए…….!!!
हम ने मोहब्बत के नशे में आ कर उसे खुदा बना डाला,
होश तब आया जब उस ने कहा कि खुदा किसी एक का नहीं होता…….!!!
मैं पिए रहुं या न पिए रहुं, लड़खड़ाकर ही चलता हु,
क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती हैं….!!!
आंखे है उनकी या है शराब का मेहखना,
देख कर जिनको हो गया हूँ मै दीवाना,
होठ है उनके या है कोई रसीला जाम,
जिनके एहसास की तम्मना मे बीती है मेरी हर शाम……!!!
लबो पे आज उनका नाम आ गया,
प्यासे के हाथ में जैसे जाम आ गया,
डोले कदम तो गिरा उनकी बाहों में जाकर,
आज हमारा पीना ही हमारे काम आ गया……..!!!
जो पीने-पीलाने की बात करते है,
कह दो ऊनसे कभी हम भी पीया करते थे,
जीतने मे यह लोग बहक जाते है,
ऊतनी तो हम ग्लास मे ही छोड दीया करते थे…….!!!
जाम तो उनके लिए है, जिन्हें नशा नहीं होता,
हम तो दिनभर “तेरी यादों के नशे में यूँ ही डूबे रहते है”………!!!
शाम खाली है जाम खाली है, ज़िन्दगी यूँ गुज़रने वाली है,
सब लूट लिया तुमने जानेजाँ मेरा, मैने तन्हाई मगर बचा ली है……!!!
मोहब्बत भी उस मोड़ पे पहुँच चुकी है,
कि अब उसको प्यार से भी मेसेज करो,
तो वो पूछती है कितनी पी है…!!!
मंदिरो मे हिंदू देखे,
मस्जिदो में मुसलमान,
शाम को जब मयखाने गया,
तब जाकर दिखे इन्सान……….!!!
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